कैइसे अब हम निभाई,
रोहिंग्या-प्रेम रे भाई,
कैसे अब हम मानी,
तोहरा के अप्पन जानी,
हो ओऽऽऽऽऽ
जहिया सब हिंसक संसार रहली,
निबाहत अतिथि-सत्कार रहली,
हुआँ तोहरा के बसैइलन,
जहां से ‘नेटिव’ के भगैलन,
यूनिसेफ के दूत सब,
चुल्लू कहां से ढूंढवऽ, इरावदी में ही डूब लऽ
हो ओऽऽऽऽ
हिआं सब करते विचार रहली,
हुआं हिन्दुअन के क़ब्र हजार निकली
- निलेश कुमार गौरव
No comments:
Post a Comment